तंजावुर का राज राजेश्वरम मंदिर या ब्राहीदेश्वर मंदिर या थंजावुर पेरिया कोविल

 राज राजेश्वरम  


मिलनाडु के थंजावुर जिले में स्थित यह शिव मंदिर  चोल वंश के प्रतापी शासक राजराज प्रथम (राजराज प्रथम शिव का अनन्य उपासक था उसको शिव पादशेखर की उपाधि मिली थी) द्वारा वर्ष 1010  ईश्वी में निर्मित द्रविड़ शैली स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। कावेरी नदी के किनारे पर बना ये मंदिर पूर्णतः ग्रेनाइट धातु से निर्मित विश्व का एकमात्र मंदिर है। 





     मंदिर का गुम्बद अष्ट भुजा बाला है इसे विशाल पत्थर पर रखागया है जिसका बजन ८१ तन है ये  216 फ़ीट ऊँचा है जिसे "दक्षिण मेरु" के नाम से भी जाना  जाता है और इसको तंजावुर में किसी भी स्थान से देखा जा सकता है। मुख्य द्वार पर नंदी की प्रतिमा विराजमान है १६ फ़ीट लम्बी एवं १३ फ़ीट ऊँची है जो एकाश्म पत्थर से निर्मित है। पिरामिड के आकार के मध्य 13 मंजिलें है । उतकृष्टता को देखते हुए मंदिर को UNESCO की विश्व धरोहर में शामिल किया गया  है। 


    वर्ष 2010 में मंदिर की 1000 वी वर्षगांठ के दौरान देश भर से लाखो श्रद्धालुओं का मंदिर में आगमन हुआ इसी उपलक्ष में भारतीय डाक ने 1 रूपए की डाक टिकट जारी की भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 रूपए का सिक्का जारी किया। 1954 में भारतीय रिजर्व बैंक ने 1000 का नोट जारी किया था जिसपर मंदिर का चित्र अंकित था जो की इंदिरा गाँधी के शासन काल में नोटबंदी में चलन से बाहर कर दिया गया। 



   

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