ताजमहल (TAJMAHAL)

उत्तरप्रदेश के आगरा जिले में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर मुग़ल शासक शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की यादगार के रूप में निर्मित किया गया था।  ताजमहल १७ हेक्टेयर (42 एकड़ ) में फैला हुआ है। 



इसका निर्माण कार्य 1631 ईस्वी से प्रारंभ होकर  1651 ईस्वी में संपन्न हुआ।  इसके अन्य नाम " वफादार आशिक का खिराज " भी है।  ताजमहल के मुख्य स्थापत्यकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे जिनको नादिर - उल - असरार की उपाधि से नवाजा गया था। जबकि प्रधान मिस्त्री उस्ताद ईशा थे।  ताजमहल के निर्माण के लिए मिस्त्री, पत्थर काटने वाले , पत्थर जड़ने वाले चित्रकार लेखक गुम्बद बनाने बाले कारीगर मध्य एशिया और ईरान से भी मंगाए गए थे। निर्माण सामिग्री सम्पूर्ण भारत, मध्य एशिया से लायी गयी सफ़ेद मकराना संगमरमर जोधपुर से लाया गया था जबकि जड़ के लिए कीमती पत्थर बगदाद , मिश्र , चीन, रूस , गोलकोंडा और फारस से आये थे।  ताजमहल इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का अद्भुत नमूना है और यह हुमायूँ के मकबरे से प्रेरित है।

ताजमहल का प्रवेश द्वार 30 मीटरऊँचा है।  इसका निर्माण कार्य 1648  में पूर्ण करवाया गया था। प्रवेश द्वार को पवित्र कुरान की आयतो से सुसज्जित किया गया है। प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही एक प्रांगड़ है। 




ताजमहल के दोनों ओर लाल पत्थरों से मस्जिद का निर्माण करवाया गया तथा ताजमहल परिषर में एक गेस्ट हाउस का निर्माण कार्य भी किया गया है। 

इसका केंद्रीय गुम्बद 240 फ़ीट ऊँचा है और इस्लामिक संरचना पर आधारित है  तथा चारो और से चार छोटे गुम्बदों से घिरा है। ताजमहल के चारो तरफ एक एक मीनार बनी हुई है प्रत्येक मीनार की ऊंचाई 137 फीट है।
ताजमहल को एक ऊँचे मंच परबनाया गया है।  इसकी नीव से उठने वाली चार मीनारे मकबरे को पर्याप्त संतुलन देती है इन मीनारों को जान बूझकर बहार की  हल्का सा झुकाओ दिया गया है ताकि भूकंप घटना के दौरान ये आगरा गिरती है तो बाहर की और गिरे। मकबरे के केंद्रीय कक्ष जो की आठ कोने बाला है शाही परिवारों की कब्र है शाहजहाँ की कब्र बाई और और मुमताज की कब्र से कुछ ऊंचाई पर है जो गुम्बद के ठीक नीचे स्थित है , कब्रों के चारो ओर संगमरमर के जालिया बनी है। 



ताजमहल की सुंदरता और उत्कृष्ट वास्तुकला को देखते हुए  UNESCO द्वारा इसे 1983 में विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया गया।   




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