संसद भवन का निर्माण (INDIAN PARLIYAMENT)
भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारतीय संसद इस लोकतंत्र का मंदिर है । नई दिल्ली स्थित भारतीय संसद विश्व की वास्तुकला का सर्वोत्तम नमूना है ।
संसद भवन की वास्तुकला की अभिकल्पना सर अडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने की । भवन की आधार सिला 12 फरबरी १९२१ को दिल्ली में द ड्यूक आफ कनाट ने रखी। इंडिया गेट की बास्तुकला की अभिकल्पना लुटियंस ने ही की थी और इसकी आधार शिला द ड्यूक ऑफ़ कनाट ने ही रखी थी । भवन का निर्माण 6 वर्ष में पूर्ण हुआ तत्पश्चात तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन ने 18 जनवरी १९२७ में भवन का उद्घाटन किया ।
भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है जिसका व्यास 560फुट (170.69 मीटर) है परिधि 536.33 मीटर और कुल छेत्रफल लगभग छ : एकड़ में फैला हुआ है । भवन के चारो ओर खुले वरामदे में कुल 144 स्तम्भ है और प्रत्येक स्तम्भ की ऊंचाई 27 फुट (8.23 मीटर )। संसद के कुल 12 द्वार है जिसमे द्वार नम्बर 1 मुख्य द्वार है ।
भवन में विशाल वृत्ताकार केंद्रीय कक्ष है 15 अगस्त १९४७ को ब्रिटिश सासन द्वारा भारत को सत्ता का हस्तानान्त्रण इसी कक्ष में हुआ था । इस कक्ष के तीन ओर लोकसभा राज्य सभा व ग्रंथालय है । लोकसभा के प्रत्येक आम चुनाव के पश्नचात प्रथम सत्र और प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में प्रथम सत्र के आरंभ होने पर राष्ट्रपति संयुक्त सत्र को इसी कक्ष में संबोधित करते है । संसद का ग्रंथालय कलकत्ता की नेशनल लाइब्ररी के बाद देश की सबसे बड़ी लाइबरेरी है ।
मंच के ऊपर महात्मा गाँधी का चित्र लगा हुआ है जिसकी नक्कासी सर ओसवाल्ड बर्ले द्वारा की गयी थी । लोकसभा का आकार अर्ध वृत्ताकार है जिसमे 550 सदस्यों को बैठने की सुबिधा है । राज्य सभा कक्ष भी लोकसभा की ही तर्ज पर बना है परन्तु छोटा है और इसमें 250 सदस्यों के बैठने की सुविधा है ।
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