कोणार्क का सूर्य मंदिर या ब्लैक पैगोडा (BLACK PAGODA OR SUN TEMPLE)
UNESCO की विश्व धरोहर में शामिल ये मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से 70 किलोमीटर दूर पूरी में स्थित है सूर्य मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नरसिंह देव वर्मन प्रथम ने 13 वी सताब्दी में करवाया था । सूर्य भगवान के रथ के आकार में निर्मित इस मंदिर में आधार पर एक चबूतरा है और इसके चारो ओर 24 पहिये है जिनको 7 अश्व खींच रहे है। मंदिर को देखकर एसा प्रतीत होता है की सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़े खीच रहे है। इस मंदिर के तीन हिस्से हैं-नृत्य मंदिर, जगमोहन और गर्भगृह । बैज्ञानिको के अनुसार रथ के पहियों (कोणार्क चक्र) की सहायता से दिन में समय का पता लगाया जा सकता है। कोणार्क में कोण का अर्थ कोना या किनारे से है जब की अर्क का अर्थ सूर्य से है।
कुछ विशेषज्ञों का मत है की सूर्य मंदिर समुद्र में बनबाया गया था जो दिन ढलने के बाद सूर्य भगवान को पानी से बाहर आने का आभास कराता था।
यूरोपीय नाविक मंदिर को ब्लैक पैगोडा कहते थे क्यों की रात्रि में जब नाविक जहाजों से गुजरते थे तो मंदिर की छत उनको दिशा निर्देशन में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती थी। वर्तमान में मंदिर का काफी भाग धवस्त हो चुका है कुछ विशेषज्ञ इसका कारण मुस्लिम आक्रमणकारीयों द्वारा लूटपाट मानते है जबकि कुछ समुद्री खारे पानी युक्त हवा को इसके ध्वस्त होने का कारण मानते है।
कोणार्क मंदिर के मुख्य द्वार से दक्षिण में महादेवी का मंदिर है । ऐसा माना जाता है की महादेवी का मंदिर सूर्य भगवान की पत्नी का मंदिर है ।
यूरोपीय नाविक मंदिर को ब्लैक पैगोडा कहते थे क्यों की रात्रि में जब नाविक जहाजों से गुजरते थे तो मंदिर की छत उनको दिशा निर्देशन में महत्व पूर्ण भूमिका निभाती थी। वर्तमान में मंदिर का काफी भाग धवस्त हो चुका है कुछ विशेषज्ञ इसका कारण मुस्लिम आक्रमणकारीयों द्वारा लूटपाट मानते है जबकि कुछ समुद्री खारे पानी युक्त हवा को इसके ध्वस्त होने का कारण मानते है।
कोणार्क मंदिर के मुख्य द्वार से दक्षिण में महादेवी का मंदिर है । ऐसा माना जाता है की महादेवी का मंदिर सूर्य भगवान की पत्नी का मंदिर है ।
https://odishatourism.gov.in/content/tourism/en/discover/attractions/temples-monuments/konark.html
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