हर्यक वंश (HARYAK VANSH -MAGADH SAMRAJYA)

                                                              

(अ) हर्यक वंश  समयावधि ५४४-४१२ ईसा पूर्व

(ब ) शिशुनाग वंश - ४१२-३४४ ईसा पूर्व
(स) नन्द वंश - ३४४-३२३ ईसा पूर्व
(द) मौर्य वंश - ३२३-१८४ ईसा पूर्व

हर्यक वंश के तीन प्रमुख शासक हुए :-


1- विम्बसार- बौध ग्रंथो में इसके पिता का नाम वोधिश मिलता है । जो राजग्रीह का शासक था। विम्बसार ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए वैवाहिक संबंधो की नीति अपनायी। इसकी कुछ प्रमुख वैवाहिक संवंध निम्न है :-


     चेलना - यह लिक्ष्वी के राजा चेटक की पुत्री थी।  इसके साथ विवाह से विम्बसार ने वैशाली जैसे व्यापारिक केंद्र पर प्रभाव स्थापित किया ।


     कोशल देवी या महाकोशला-  कोशल नरेश प्रशेनजित की वहिन थी। इससे विवाह से विम्बसार को काशी का कुछ भाग प्राप्त हुआ था । जहाँ से 1 लाख मुद्रा की वार्षिक आय प्राप्त होती थी ।


    क्षेमा - मध्यदेश की राजकुमारी थी। इस संवंध से उसने अवन्ती पर नियंत्रण स्थापित किया ।


विम्बसार ने अंग महाजनपद के शासक व्रह्म्दत को पराजित कर मगध में मिला लिया और अपने पुत्र अजातशत्रु को वहां का उपराजा वनाया ।


विम्बसार बौध धर्म का अनुयायी था ।बौध ग्रन्थ विनय पिटक के अनुसार वुद्ध से मिलने के पश्चात उसने वुद्ध धर्मं स्वीकार किया । जैन ग्रंथो में इसे जैन धर्म का भी संरक्षक कहा गया । इसके पुत्र अजातशत्रु ने इसे बंदी बना कर कारागार में डाल दिया था ।



२.  अजात शत्रु (४९२-४६० ईसा पूर्व)  -   इसका उपनाम कुणिक था ।  इसके समय में कोशल व मगध का संघर्ष छिड गया पहले युद्ध में कोशल नरेश प्रसेनजित पराजित हुआ और दुसरे में उसने अजात शत्रु को पराजित कर दिया । अजातशत्रु ने वज्जी संघ पर आक्रमण की रुपरेखा अपने मंत्री वत्स्कर की सहायता से वनाई जिसमे वह सफल रहा ।


      भरहुत अभिलेख की वेदिका पर लिखा है कि अजातशत्रु वुद्ध की वंदना करता था वुद्ध के परिनिर्वाण पर राजग्रीह में स्तूप का निर्माण करवाया। इसी के शासन काल में राजग्रीह में प्रथम बौद्ध संगति का आयोजन हुआ । पुराणों में इसका निकटतम उत्तराधिकारी दर्शक मिलता है जबकि वुद्ध व जैन लेखक उदियन को उत्तराधिकारी मानते है ।


3. उदयन (४६०-४४४ ईसा पूर्व)  -  इसने अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर दी और गद्दी पर बैठा । बुद्ध ग्रंथो में इसे पित्रहंता कहा गया । इसने गंगा व सोन नदी के संगम पर कुसुमपुर (पाटिलपुत्र ) नगर की स्थापना की । इसके तीन पुत्र हुए अनिरुध्द, मंदक व नागदशक।

इस वंश का अंतिम शासक नागदशक था । 

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